राजस्थान कला एवं संस्कृति महत्वपूर्ण नोट्स | RAJASTHAN ART & CULTURE IMPORTANT NOTES 05
राजस्थान कला एवं संस्कृति के 500 महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर Rajasthan Art and Culture 500 Important Question and Answer आप कुछ नहीं करे बस इन्हें रट तो भी आपका सलेक्शन हो सकता हे। हम यहां आप को उन प्रश्नो का सेट प्रदान कर रहे हे जो बहुत सी बार राजस्थान की और अन्य प्रतियोगी परीक्षा वो में पूछे जा चुके हे। अतः आप इन्हे रट ले।
SET NO 5
401 | छोटी तीज | श्रावण शुक्ला 3 |
402 | जन्माष्टमी | भाद्रपद कृष्ण 8 |
403 | रामनवमी | चैत्र शुक्ला 9 |
404 | नव वर्ष | चैत्र शुक्ल 1 |
405 | श्राद्ध पक्ष | भाद्रपद पूर्णिमा से अश्विन अमावस्या तक |
406 | विजयदशमी | आश्विन शुक्ल 10 |
407 | समन्वय धाम | जोधपुर में स्थित आध्यात्मिक केंद्र |
408 | कलीला-दमना | मेवाड़ चित्रकला शैली के दो पात्र |
409 | भवानी नाट्यशाला | झालरापाटन (झालावाड़), पारसी ऑपेरा शैली में 1921 में झाला भवानी सिंह द्वारा निर्मित |
410 | बेयर फुट संस्थान | तिलोनिया गाँव (अजमेर)में, बंकट राय द्वारा स्थापित |
411 | जयपुरी फुट के निर्माता | डॉ. प्रमोदकरण सेठी |
412 | हेरिटेज सिटी (विरासत का शहर) | झालरापाटन (झालावाड़) |
413 | सूँघनी नसवार | ब्यावर (अजमेर) |
414 | बांसीदुगारी | तेजाजी की कर्म स्थली, बूंदी में |
415 | मूमल की मेड़ी | लोद्रवा (जैसलमेर) |
416 | मरवण कहाँ की थी ? | बीकानेर के पूगल प्रदेश के राजा पिंगल की बेटी |
417 | घोड़े वाला बाबा | कर्नल जेम्स टॉड |
418 | मेहन्दीपुर बालाजी | दौसा |
419 | पंजाबी अकादमी | गंगानगर |
420 | नाहर नृत्य | भीलवाड़ा में (होली के 13 दिन बाद) |
421 | अंकन संस्था | भीलवाड़ा (चित्रकला विकास हेतु) |
422 | अनूप संस्कृत लाइब्रेरी व सार्दुल संग्रालय | बीकानेर |
423 | राजस्थान राज्य अभिलेखागार का मुख्यालय | बीकानेर |
424 | शेरशिकार गुरुद्वारा | मचकुण्ड (धौलपुर) |
425 | अलाउद्दीन आलमशाह का मकबरा | तिजारा (अलवर) |
426 | तालाबशाही झील | धौलपुर |
427 | रामदेवजी की मुह बोली बहन | डाली बाई |
428 | घोड़ों का तीर्थ स्थान | गुढ़ा मालानी, आलमजी का धोरा (बाड़मेर) |
429 | फुल देवरा मंदिर | अटरू (बारां), इसे मामा-भांजा मंदिर भी कहते है |
430 | कांकणबाड़ी किला | अलवर में यही पर औरंगजेब ने दाराशिकोह को कैद करके रखा था |
431 | वैष्णव तीर्थ स्थान “खेड़” | बाड़मेर |
432 | परमारों की राजधानी अर्थूणा | बाँसवाड़ा |
433 | आदिवासियों का कुंभ | बेणेश्वर महादेव मेला (डूंगरपुर) माघ पूर्णिमा को |
434 | सहरिया जनजाति का कुंभ | सिताबाड़ी (बारां) ज्येष्ठ अमावस्या को |
435 | बिश्नोईयों का कुंभ | मुकाम (बीकानेर), आसोज व फाल्गुन की अमावस्या को |
436 | जैनियों का सबसे बड़ा मेला | श्री महावीर जी (हिण्डोनसिटी, करौली) चेत्र शुक्ल 13 को |
437 | तिलिस्वां महादेव का मंदिर | भीलवाड़ा |
438 | रणछोड़ दास जी का प्रसिद्ध मंदिर | खेड़ (बाड़मेर) |
439 | कोडमदेसर भैरूजी का मंदिर | बीकानेर |
440 | देवल चारणी की गायों को किसने छुड़ाया | पाबूजी ने |
441 | अमिताभ बच्चन की फड़ | मारवाड़ के भोपा राजमल व भोपी पतासी ने बाँची व शाहपुरा (भीलवाड़ा) के जोशी परिवार ने बनायीं |
442 | गोगामेड़ी की बनावट | मकबरेनुमा |
443 | रामदेवजी के पैदल यात्री | जातरू कहलाते है |
444 | हुणहुँकार तोप | धौलपुर के राजा कीरत सिंह के समय सीताराम कारीगर द्वारा निर्मित, वर्तमान में धौलपुर के इन्दिरा पार्क में |
445 | हड़बू जी का पूजा स्थल | बेंगटी (फलौदी) |
446 | तेजाजी की पत्नी | पैमल दे (पनेर, अजमेर) | 447 | मल्लीनाथ जी के गुरु | उगम सिंह भाटी |
448 | त्रिलोक दीपक | रणकपुर के जैन मंदिर |
449 | मांगलियावास का मेला | अजमेर में, जहाँ 800 वर्ष पुराना कल्पवृक्ष का जोड़ा है। श्रावण अमावस्या (हरियाली अमावस्या) को मेला |
450 | सालासर बालाजी का मंदिर | चूरू |
451 | गोगाजी की ओल्डी | सांचौर (जालौर) |
452 | पुष्टि मार्ग का जहाज | सूरदास को विट्ठलनाथ ने कहा |
453 | भीलों का खेल नृत्य | नेजा नृत्य |
454 | कच्छी घोड़ी नृत्य | शेखावटी |
455 | जगदीश मंदिर | उदयपुर |
456 | राजस्थान की आत्मा | घूमर नृत्य |
457 | रामदेवजी के पूजा स्थल | रुणेचा (जैसलमेर), उण्डु काश्मीर (बाड़मेर), बिठुजा (बालोतरा, बाड़मेर), सूरताखेड़ा (चित्तोडगढ़), बिराठिया (पाली) |
458 | हड़बू जी को बेंगटी किसने प्रदान की | राव जोधा ने |
459 | कौन से लोकदेवता ने फिरोजतुगलक से युद्ध किया ? | मल्लीनाथ जी |
460 | साँत ध्वजों का नाथ | श्री नाथ जी (नाथद्वारा) |
461 | अष्टछाप शिरोमणि कवि | सूरदास |
462 | थार की वैष्णों देवी | तनोट माता |
463 | राजस्थान का भुवनेश्वर | ओसियाँ, भुवनेश्वर की तर्ज पर कोणार्क मंदिर होने के कारण |
464 | ‘स्वतंत्र बावनी’ के रचयिता | तेजकवि (जैसलमेर) |
465 | मेरवाड़ा प्रदेश का सबसे बड़ा मेला | पुष्कर मेला |
466 | सतबीस देवरिया | चित्तोडगढ़ में, जैन धर्म का मंदिर, सतबीस (7+20 = 27 मंदिर) |
467 | राजस्थान की छोटी काशी | बूंदी, द्वितीय काशी भी इसे ही कहा जाता है |
468 | सर्वाधिक प्रसिद्ध अन्नकूट | श्रीनाथजी के मंदिर (नाथद्वारा) कार्तिक शुक्ला 1 को |
469 | जयपुरी ख्याली गायकी के प्रवर्तक | रज्जब अली खां |
470 | सुरजीत कौर चौयल | पहली हिन्दुस्तानी चित्रकार जिनकी पेंटिंग जापान की कला दीर्घा में प्रदर्शित की गयी |
471 | माउंट एवरेस्ट ऑफ़ म्यूजिक | जयपुर के प्रसिद्ध गायक व संगीत सम्राट उस्ताद अल्लादिया खां |
472 | सबसे लोकप्रिय फड़ | पाबूजी की फड़ |
473 | सबसे लम्बी फड़ | देवनारायण जी की फड़ |
474 | आधुनिक चित्रकला को प्रारंभ करने का श्रेय | कुंदनलाल मिस्त्री |
475 | राजस्थान चित्रकला का उद्गम स्थल | मेवाड़ |
476 | खजूर के वृक्ष किस शैली में | बूंदी/कोटा |
477 | नैड़ा की छतरियाँ | अलवर |
478 | ऊनी कालीन | बीकानेर |
479 | प्रसिद्ध घुड़सवार | रघुवीर सिंह, गुलाम मोहम्मद खान |
480 | सुनितापुरी, वर्षा सोनी | हॉकी खिलाडी |
481 | रीमा दत्ता, भक्ति शर्मा | प्रसिद्ध तैराक |
482 | महाराव भीमसिंह, करणीसिंह, राजश्री कुमारी | निशानेबाज |
483 | लिंबाराम | तीरंदाज |
484 | सलीम दुर्रानी, गगन खोड़ा | क्रिकेटर |
485 | श्रावण में ओढ़नी | लहरिया |
486 | आतमसुख | सर्दी में ओढ़ा जाता है। सबसे प्राचीन आतमसुख सिटी पैलेस (जयपुर) में रखा है। |
487 | पगड़ी | मेवाड़ की प्रसिद्ध, विश्व की सबसे बड़ी पगड़ी बगौर की हवेली (उदयपुर) में |
488 | राष्ट्रिय साफा | जोधपुरी साफा |
489 | दाढ़ी-मूँछ युक्त हनुमान जी | सालासर बालाजी (चूरू) |
490 | गणेश जी का त्रिनेत्र मंदिर | रणथम्भौर (सवाई माधोपुर) |
491 | बाजणा गणेश मंदिर | सिरोही |
492 | अर्बुदा देवी का मंदिर | माउंट आबू (सिरोही), इसे अधर देवी भी कहते है। |
493 | त्रिपुरा सुन्दरी का मंदिर | बाँसवाड़ा |
494 | खम्भों का जंगल | रणकपुर जैन मंदिर (पाली) |
495 | ओसियाँ के मंदिरों की शैली | गुर्जर महामारू शैली |
496 | बूढ़ादीत का सूर्य मंदिर | कोटा में |
497 | आधेटा रिवाज | मृत्यु सम्बंधित |
498 | वेश्याओं का मंदिर | रणकपुर का जैन मंदिर (पाली) |
499 | बोहरा जी की छतरी | केला देवी मंदिर के सामने (करौली), जहाँ ऐसी मान्यता है कि पुश्तैनी बीमारी का इलाज होता है |
500 | पगड़ी का दस्तूर | पिता की मृत्यु होने पर बड़े बेटे या भाई को पगड़ी पहनाकर उत्तराधिकारी का दायित्व सौपना। |
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