201 | राजस्थानी चित्रकला का सबसे पहला वैज्ञानिक विभाजन | 1916 ई. में आनन्द कुमार स्वामी ने अपनी पुस्तक “राजपुताना पेंटिंग्स” में किया |
202 | “बणी-ठणी” पेंटिंग | किशनगढ़ (अजमेर) के राजा सावंतसिंह (नागरीदास) के समय चित्रकार निहालचन्द ने बनायीं। जिसे एरिक डिक्शन ने भारतीय मोनालिसा कहा |
203 | पिछवाई चित्र कला शैली | नाथद्वारा (राजसमन्द) |
204 | मथेरणा कला | जैन पेंटिंग, बीकानेर से सम्बंधित |
205 | पशु-पक्षियों के महत्व वाली शैली | बूंदी शैली |
206 | बर्ड राइडर रॉक पेंटिंग | छाजा नदी के किनारे, गरड़दा (बूंदी) से |
207 | बूंदी में चित्रशाला | महाराव उम्मेदसिंह के समय |
208 | मुग़ल शैली का सर्वाधिक प्रभाव | जयपुर शैली पर |
209 | “साहिबराम” चित्रकार | जयपुर के महाराजा इश्वरिसिंह के समय हुआ, जो आदमकद चित्र बनता था। |
210 | बादला | जोधपुर में जस्ता द्वारा निर्मित ठण्डे पानी की बोतल |
211 | मलीर प्रिंट | बाड़मेर |
212 | पेचवर्क | शेखावटी प्रदेश (सीकर, चूरू, झुंझुनू) |
213 | गोटा किनारी | खण्डेला (सीकर) |
214 | उस्ता कला | ऊँट की खाल पर सोने की मीनाकारी (बीकानेर)«हिसामुद्दीन उस्ता कला के प्रमुख कलाकार है। |
215 | थेवा कला | काँच पर सोने की मीनाकारी (प्रतापगढ़, चित्तोडगढ़)«नथमल सोनी प्रसिद्ध कलाकार |
216 | काष्ठ कला के लिए प्रसिद्ध बस्सी गाँव | चित्तोडगढ़ में |
217 | कोफ्तगिरी | फौलाद की बनी वस्तुओं पर महीन तारों की जड़ाई (जयपुर, अलवर) |
218 | मेवाड़ चित्र शैली में किस रंग को प्रधानता | लाल रंग |
219 | “तस्वीरां रो कारखानों” | जयपुर (जगतसिंह के समय स्थापित कला विद्यालय) |
220 | मेवाड़ चित्रशैली का स्वर्णयुग | अमर सिंह प्रथम का काल |
221 | शिकार शैली | कोटा शैली |
222 | कुप्पी | ऊँट की खाल से बना जल पात्र (बीकानेर) |
223 | भीलों की बोली | बागड़ी |
224 | मेवाती बोली | अलवर |
225 | मालवी बोली | झालावाड़, प्रतापगढ़, चित्तोडगढ़ |
226 | सिपाड़ी बोली | शाहपुरा, भीलवाड़ा |
227 | सबसे अधिक क्षेत्र में बोली जाने वाली बोली | मारवाड़ी |
228 | “हाँ चाँद मेरा है।” | हरिराम मीणा की रचना |
229 | रूपायन संस्थान | बोरुन्दा (जोधपुर), 1960 ई. में विजय दान देथा व कोमल कोठारी द्वारा स्थापित |
230 | शिव-पार्वती का वाद्य | मांदल |
231 | तार वाले वाद्य | तत् वाद्य |
232 | फूंक वाले वाद्य | सुषिर वाद्य |
233 | चोट या आघात वाले वाद्य | घन वाद्य |
234 | चमड़े से मढ़े हुए ताल वाद्य | अवनद्य वाद्य |
235 | मोहण वीणा | ग्रैमी अवार्ड विजेता जयपुर के पं. विश्वमोहन भट्ट द्वारा आविष्कृत |
236 | गोड़वाड़ क्षेत्र के लोक-नर्तक ‘समर-नृत्य’ करते समय पावों में क्या बांध कर नाचते है ? | रमझौला (घुंघरुओं की पट्टी) व हाथ में तलवार |
237 | ‘लेजिम’ किस जनजाति का वाद्य | गरसिया |
238 | घंटी बाजा | श्रीमण्डल (झाड़ूनुमा वाद्य यंत्र) |
239 | कामड़ महिलाओं व पुरुषों का वाद्य | झांझ, तंदुरा |
240 | खड़ताल का जादूगर | सद्दीक खां |
241 | प्रसिद्ध नगाड़ा वादक | रामाकिशन (पुष्कर) |
242 | सबसे बड़ा लोक वाद्य | बंब/टामक |
243 | वालर नृत्य | सिरोही |
244 | ढोल
नृत्य | जालौर |
245 | गैर नृत्य | मेवाड़, बाड़मेर |
246 | डाण्डिया नृत्य | जोधपुर |
247 | गीदड़ नृत्य | सीकर |
248 | पटवों, नथमल, सालिमसिंह की हवेली | जैसलमेर |
249 | रामपुरिया, बच्छावतों की हवेली | बीकानेर |
250 | बागोर की हवेली | उदयपुर |
251 | सुनहरी कोठी | टौंक |
252 | सरिस्का अभ्यारण्य में स्थित मंदिर | पाण्डुपोल हनुमान जी का मंदिर, ताल वृक्ष मंदिर, भर्तृहरि का मंदिर, नीलकंठ महादेव मंदिर |
253 | नौ ग्रहों का मंदिर | किशनगढ़ (अजमेर) |
254 | सास-बहू का मंदिर | नागदा (उदयपुर), मूलनाम –सहस्त्रबाहु मंदिर |
255 | दधिमती माता का मंदिर | गोठ मांगलोद, नागौर – दाधिच ब्राह्मणों की कुल देवी |
256 | चौहानों की कुल देवी | आशापुरा माता (नाडोल, पाली) |
257 | कच्छवाहों की कुल देवी | जमवाय माता |
258 | मेवाड़ राजघराने की कुल देवी | बाणमाता |
259 | राठौड़ों की कुल देवी | नागणेची माता |
260 | जैसलमेर के भाटियों की कुल देवी | स्वांगिया माता |
261 | यादवों की कुल देवी | अंजनीमाता |
262 | खण्डेलवालों की कुल देवी | सकराय माता |
263 | शारदा माता का मंदिर | पिलानी (झुंझुनू) |
264 | सोमनाथ मंदिर | पाली |
265 | देव सोमनाथ मंदिर | डूंगरपुर |
266 | केसरिया नाथ जी का मंदिर | धूलेव/ऋषभदेव (उदयपुर) |
267 | सिरवी समाज की कुल देवी | आईमाता (बिलाड़ा, जोधपुर) |
268 | पुष्करणा ब्राह्मणों की कुल देवी | लटियालमाता (फलौदी, जोधपुर) |
269 | ओसवालों की कुल देवी | सच्चियाय माता (ओसियां, जोधपुर) |
270 | टॉड ने ताजमहल के बाद दूसरा प्रमुख भवन बताया | दिलवाड़ा (माउंट आबू) के विमलशाही मंदिर को कहा |
271 | विभीषण का मंदिर | कैथून (कोटा) |
272 | खण्डित शिवलिंग की पूजा | बेणेश्वर महादेव मंदिर (डूंगरपुर) |
273 | ब्रह्मा खड्ड | अचलेश्वर महादेव का मंदिर (माउन्ट आबू) |
274 | शिवाजी के अंगूठे की पूजा | अचलेश्वर महादेव का मंदिर (माउन्ट आबू) |
275 | जयपुर की काशी | गलता जी |
276 | इकमीनर मस्जिद | जोधपुर |
277 | मीठेशाह की दरगाह | गागरोण (झालावाड़) |
278 | पीर दूल्लेशाह की दरगाह | केरला (पाली) |
279 | शक्कर पीर बाबा की दरगाह | नरहड़, चिड़ावा (झुंझुनू) |
280 | नालीसर मस्जिद | सांभर (जयपुर) |
281 | जामा मस्जिद | शाहबाद (बारां), सबसे बड़ी मस्जिद |
282 | गमतागाजी की मीनार | जोधपुर |
283 | फखरुद्दीन की दरगाह | गलियाकोटा (डूंगरपुर) |
284 | उषा मस्जिद, उषा मंदिर | बयाना (भरतपुर) |
285 | अलाउद्दीन की मस्जिद | जालौर |
286 | अकबर की मस्जिद | आमेर (जयपुर) |
287 | बढ़ार का भोज | वरपक्ष द्वारा शादी के अगले दिन दिया जाता है |
288 | बरी-पड़ला | वधू पक्ष ससुराल से आने वाले वस्त्र |
289 | पहरावणी/रंगबरी | वधू पक्ष द्वारा बारातियों को दिया जाने वाला उपहार |
290 | डावरिया | दहेज में दासियाँ/कुंवारी कन्याएँ देने की प्रथा |
291 | मोसर | मृत्युभोज |
292 | जोसर | जीते जी मृत्युभोज |
293 | अंगरखी का अन्य नाम | बुगतरी |
294 | पन्ने की सबसे बड़ी मंडी | जयपुर |
295 | डेरू वाद्य का सम्बन्ध किस देवता से | गोगाजी |
296 | केर की लकड़ी का फूंक वाद्य यंत्र | सतारा |
297 | दो बांसुरी का वाद्य | अलगोजा |
298 | नड़ का प्रसिद्ध कलाकार | कार्णा भील (जैसलमेर) |
299 | चरवाहों का जातिय वाद्य | अलगोजा |
300 | नागफणी क्या है ? | सुषिर वाद्य (नाग के आकर का) |
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