यहाँ इस पोस्ट में हमने आपके लिए अजमेर जिला दर्शन लेकर आये हैं |
देश के प्रथम पूर्ण साक्षर जिले के पुरस्कार से सम्मानित व सांप्रदायिक सद्भाव का संगम राजस्थान के हृदय स्थल व भारत के मक्का एवं धर्म नगरी आदि अनेक नामों से प्रसिद्ध अजमेर नगर की स्थापना चौहान राजा अजय राज ने 1113 ईस्वी में की। अजमेर में अजयमेरू दुर्ग स्थित है। अजयमेरू दुर्ग की स्थापना अजयपाल ने सातवीं सदी में की थी। अजमेर के चौहान शासक पृथ्वीराज चौहान तृतीय के तराइन के द्वितीय युद्ध (1192 ईसवी ) में मोहम्मद गोरी से पराजित होने से यहां पर मुस्लिम शासन की स्थापना हुई थी, जिसके कारण अजमेर दिल्ली सल्तनत के अधीन हो गया था। श्री हरीभाऊ उपाध्याय अजमेर के प्रथम एवं एकमात्र मुख्यमंत्री रहे। अजमेर के नाग पहाड़ से लूणी नदी निकलती है।
अजमेर जिला दर्शन : अजमेर जिले की सम्पूर्ण जानकारी
- राजस्थान के प्रसिद्ध अजमेर नगर की स्थापना चौहान राजा अजयराज ने 1113 ई. में की, परंतु अजयमेरु दुर्ग की स्थापना 7वीं सदी में चौहान राजा अजयपाल द्वारा की गई ।
- अजमेर जिले को राजस्थान के ‘हृदय स्थल’ व ‘भारत का मक्का एवं धर्म नगरी’ आदि अनेक नामों से जाना जाता है।
- अजमेर जिला राजस्थान के प्रथम पूर्ण साक्षर जिले के पुरस्कार से सम्मानित भी है।
- यहाँ के चौहान शासक पृथ्वीराज तृतीय के तराइन के दूसरे युद्ध (1192 ई.) में मुहमद गौरी से हार जाने के बाद यहाँ मुस्लिम शासन की स्थापना हुई एवं अजमेर दिल्ली सल्तनत के अधीन हो गया।
- अंग्रेजी शासन के दौरान यहाँ एजीजी (Agent to Governor General) का कार्यालय सर्वप्रथम सन् 1832 ई. में अजमेर में स्थापित किया गया था जो बाद में 1857 ई. में माउंट आबू स्थानांतरित हो गया।
- इंग्लैण्ड के शासक जेम्स प्रथम के दूत सर टॉमस रो 22 दिसम्बर, 1615 को अजमेर आये थे, उन्होंने जहाँगीर से अकबर के किले (मैग्जीन) में 10 जनवरी, 1616 को मुलाकात की थी एवं भारत में ईस्ट इण्डिया कम्पनी को व्यापार करने की अनुमति प्राप्त की थी।
- श्री हरिभाऊ उपाध्याय यहाँ के प्रथम एवं एकमात्र मुख्यमंत्री रहे।
- अजमेर स्वतंत्रता के पश्चात् 1956 तक ‘सी’ श्रेणी का राज्य था।
- अजमेर जिला अंग्रेजी शासन से मुक्ति पाने के संग्राम में अपना सर्वस्व न्यौछावर कर देने वाले स्वतंत्रता सेनानी अर्जुन लाल सेठी व हरिभाऊ उपाध्याय की कार्यस्थली रहा है।
- स्वतंत्रता संग्राम में जूझ रहे क्रांतिकारियों को खुले हाथों से वित्तीय सहायता प्रदान करने वाले दानवीर सेठ दामोदरदास राठी भी ब्यावर (अजमेर) के ही थे।
- औरंगजेब द्वारा उत्तराधिकार का अंतिम युद्ध अजमेर के निकट दौराई स्थान पर जीता गया था।
- अजमेर जिले के ब्यावर शहर से सूचना के अधिकार कानून की पृष्ठभूमि तैयार हुई थी।
- 1956 में अजमेर का राजस्थान में विलय किया गया। यह राजस्थान का 26वाँ जिला बना।
- अजमेर का क्षेत्रफल : 8481 वर्ग कि.मी.
- राजस्थान के मध्य में स्थित अजमेर जिले की उत्तरी सीमा नागौर व जयपुर, पूर्वी सीमा टोंक, दक्षिणी सीमा भीलवाड़ा तथा राजसमंद तथा पश्चिमी सीमा पाली जिले को स्पर्श करती हैं।
- लूनी नदी का उद्गम स्थल अजमेर जिले की नाग पहाडियाँ ही है।
अजमेर की अक्षांशीय/देशांतरीय स्थिति
🔰अक्षांशीय स्थिति : 25 डिग्री 38 मिनट उत्तरी अक्षांश से 26 डिग्री 58 मिनट उत्तरी अक्षांश तक
🔰देशांतरीय स्थिति : 73 डिग्री 54 मिनट पूर्वी देशांतर से 75 डिग्री 22 मिनट पूर्वी देशांतर तक
अजमेर से सम्बंधित महत्वपूर्ण तथ्य
- अजमेर का शाब्दिक अर्थ : एक ऐसा पर्वत जिसे जीता न जा सके।
- अजमेर जिले का क्षेत्रफल 8481 वर्ग किलोमीटर।
- अजमेर का 1956 में राजस्थान में विलय किया गया।
- विलय होने पर अजमेर राजस्थान का 26 वां जिला बना।
अजमेर के उपनाम/प्राचीन नाम :-
- अजमेर के प्राचीन नाम – पृथ्वीपुर /अजयमेरू।
- भारत का मका मदीना।
- राजस्थान का हृदय ( केंद्रीय स्थिति )
- राजस्थान का नाका।
- राजपूताने की कुंजी।
अजमेर जिले के प्रमुख मंदिर | अजमेर के शीर्ष मंदिर
- वराह अवतार का मंदिर — चौहान शासक अर्णोराज द्वारा 12वीं सदी में निर्मित यह मंदिर विष्णु के वराह अवतार का मंदिर है।
- ब्रह्मा मंदिर — पुष्कर (अजमेर) में स्थित यह मंदिर विश्व का एकमात्र ब्रह्मा मंदिर है। यह रोज पूजा अर्चना की जाती है।
- गायत्री मंदिर — पुष्कर के उत्तर में एक पहाड़ी पर प्रसिद्ध गायत्री मंदिर स्थित है।
- रंगनाथ जी मंदिर — पुष्कर में द्रविड़ शैली में निर्मित भव्य मंदिर जो मूलतः एक विष्णु मंदिर है। अपनी गोपुरम आकृति के लिए प्रसिद्ध रंगनाथ मंदिर का निर्माण सेठ पूरणमल ने 1844 ई. में करवाया।
- सोनी जी नसिया — स्व. सेठ मूलचंद जी सोनी द्वारा इसका निर्माण 1864 में प्रारंभ किया गया। यह 1865 में उनके पुत्र स्व. सेठ टीकमचंद सोनी के समय बनकर तैयार हुआ। यह जैन सम्प्रदाय का प्रसिद्ध मंदिर है। इसमें प्रथम जैन तीर्थंकर आदिनाथ भगवान की मूर्ति एवं समवशरण की रचना दर्शनीय है। इसमें स्वर्ण का काम बहुत सुंदर है। इसे ‘सिद्धकूट चैत्यालय’ भी कहा जाता है।
- सावित्री मंदिर — पुष्कर के दक्षिण में रत्नागिरी पर्वत पर ब्रह्माजी की पत्नी सावित्री का मंदिर स्थित है। यहाँ भादवा शुक्ला सप्तमी को मेला भरता है। यहीं पर देवी सावित्री की पुत्री सरस्वती माँ की प्रतिमा भी है.
- राजदेवरा थान — अजमेर नागौर सीमा पर स्थित द्वितीय रामदेवरा के नाम से प्रसिद्ध बाबा रामदेव का स्थल जो परबतसर कस्बे के समीप स्थित है। इस स्थल को श्रद्धालु रामदेवरा के बाद रामदेवजी का दूसरा सबसे बड़ा स्थान मानते हैं। इसी कारण इसे ‘मिनी रामदेवरा’ भी कहा जाता है।
- श्री मसाणिया भैरवधाम — चमत्कारी देवस्थान श्री मसाणिया भैरवधाम’ अजमेर जिले के राजगढ़ ग्राम में स्थित है। गुरुदेव राजगढ़, अजमेर श्री चम्पालाल जी महाराज ने इसकी स्थापना की।
- काचरिया मंदिर — किशनगढ़ (अजमेर) में स्थित इस मंदिर में राधाकृष्ण का स्वरूप विराजमान है।
- लघु पुष्कर धानेश्वर — अजमेर में सांपला कस्बे के पास स्थित खारी व मानसी नदी के संगम के अंतिम छोर पर स्थित धानेश्वर को लघु पुष्कर कहा जा सकता है।
अजमेर जिले के प्रमुख मेले एवं त्यौहार
मेला | स्थान | दिन / तिथि |
पुष्कर मेला | पुष्कर | कार्तिक शुक्ल एकादशी से पूर्णिमा तक राजस्थान का सबसे बड़ा सांस्कृतिक मेला। यहां पशु मेला भी भरता है। |
ख्वाजा साहब का उर्स | अजमेर | रज्जब माह की 1 से 6 तारीख तक। |
कल्पवृक्ष | मांगलियावास | श्रावण मास की हरयाली अमावस्या को। |
अजमेर जिले के दर्शनीय स्थल
तारागढ़ दुर्ग ( गढ़ बिठली )
- तारागढ़ (अजमेर दुर्ग) — अजमेर दुर्ग (गढ़ बीठली) का निर्माण बीठली पहाड़ी पर चौहान शासक अजयपाल द्वारा 7वीं सदी में करवाया गया। यहाँ मीरान साहब की दरगाह है।
- मैग्जीन — अकबर द्वारा 1570 ई. निर्मित यह किला मुगल काल के साथ-साथ ब्रिटिश काल में राजनैतिक सरगर्मियों का केन्द्र रहा। ब्रिटिश काल में इसे शस्त्रागार तथा बाद में इसके केन्द्रीय भाग को राजपूताना संग्रहालय बना दिया। इसे अकबर का दौलतखाना भी कहा जाता है। मुगल बादशाह अपनी अजमेर यात्रा के दौरान अक्सर यहीं ठहरते थे। यह किला मुस्लिम शैली में निर्मित राज्य का एकमात्र किला है। ब्रिटिश काल में 19 अक्टूबर, 1908 को लॉर्ड कर्जन के निर्देश पर सर जॉन मार्शल द्वारा यहाँ राजकीय संग्रहालय स्थापित किया गया। राज्य के पुरातत्ववेत्ता गौरीशंकर हीराचंद ओझा को इसका प्रथम अधीक्षक बनाया गया था। जहाँगीर के समय यहाँ जनता की फरियाद सुनी जाती थी। इसी दौलतखाने में फरवरी 1576 में हल्दीघाटी युद्ध की योजना बनी और जनवरी, 1615 में यहीं पर शहजादा खुर्रम का स्वागत किया गया क्योंकि उसने अमरसिंह को संधि के लिए राजी कर लिया था।
- आनासागर झील — पृथ्वीराज के दादा आनाजी (अर्णोराज) द्वारा 1135-50 के मध्य निर्मित झील। इसमें बांडी नदीका पानी आता है। यहाँ सम्राट जहांगीर द्वारा दौलत बाग (सुभाष उद्यान) एवं बादशाह शाहजहाँ द्वारा 1627 ई. में संगमरमर की बारहदरी का निर्माण करवाया गया। इसके किनारे बजरंगगढ़ पहाड़ी पर हनुमान जी का मंदिर है।
- अढ़ाई दिन का झोंपड़ा — अढ़ाई दिन का झोंपड़ा मूलतः प्रथम चौहान सम्राट बीसलदेव (विग्रहराज चतुर्थ) द्वारा निर्मित संस्कृत पाठशाला, जिसे शाहबुद्दीन मुहम्मद गौरी के सेनापति कुतुबुद्दीन ऐबक ने 1206 से 1210 ई. के मध्य अढ़ाई दिन के झोंपड़े (एक मस्जिद) में परिवर्तित कर दिया।
- मांगलियावास — अजमेर से 26 किमी दूर स्थित कस्बा, जहाँ 800 वर्ष पुराना कल्पवृक्ष का जोड़ा है, जिसके बारेमें मान्यता है कि यहाँ हर मन्नत पूरी होती है।
- पृथ्वीराज स्मारक — तारागढ़ पहाड़ी पर चौहान सम्राट पृथ्वीराज तृतीय का स्मारक 13 जनवरी, 1996 को राष्ट्र को समर्पित किया गया।
- घोड़े की मजार — अजमेर में तारागढ़ पर हजरत मीरां साहब के दरगाह परिसर में स्थित घोड़े की मजार पूरे हिन्दुस्तान में केवल अजमेर में ही है। यह घोड़ा हजरत मीरां साहब का सबसे प्रिय घोड़ा था।
- शेर-ए-चश्मा — अजमेर के तारागढ़ में स्थित चश्मे का नाम जिसे यह नाम अफगान बादशाह शेरशाह सूरी के नाम पर दिया गया।
- शौर्य उद्यान — अजमेर के मिलिट्री स्कूल परिसर में इस उद्यान का उद्घाटन 27 अप्रैल, 2005 को किया गया। इस उद्यान में देश की रक्षा के लिए शहीद हुए जवानों की वीरगाथाओं का वर्णन है तथा सभी परमवीर चक्र विजेताओं की सचित्र जानकारी की गई है।
- पृथ्वीराज स्मारक
- आनासागर झील
- फॉय सागर झील
- ढाई दिन का झोपड़ा
- मांगलियावास
- घोड़े की मजार
- जुबली क्लॉक टावर
- पंचकुंड
- अब्दुल्ला खान का मकबरा
- बघेरा का तोरण द्वार
- टूकड़ा का मकबरा
- पदमा डेयरी
- चश्मा-ए-नूर मुगल
- दादाबाड़ी
- भूकंप वैद्यशाला
- बापूगढ़ / बजरंगगढ़
- रूठी रानी का महल
- हाथी भाटा
- मेयो कॉलेज
- संतोष बावला की छतरी
अजमेर के प्रमुख दुर्ग | अजमेर के शीर्ष किले
🔰अजयमेरु दुर्ग (तारागढ़ दुर्ग):-
- तारागढ़ दुर्ग का निर्माण अजयपाल ने सातवीं सदी में करवाया था।
- तारागढ़ दुर्ग में कुल 14 बुर्ज है।
- तारागढ़ दुर्ग सर्वाधिक आंतरिक आक्रमण सहने वाला दुर्ग है।
- तारागढ़ दुर्ग में शाहजहां के बेटे दाराशिकोह का जन्म हुआ था। दाराशिकोह ने धौलपुर के युद्ध में पराजित होकर इस दुर्ग में शरण ली थी।
अजयमेरु दुर्ग के अन्य नाम:-
- अजयमेरू दुर्ग, तारागढ़ दुर्ग , गढ़ बिठली दुर्ग, राजपूताना की कुंजी आदि।
- राजस्थान का जिब्राल्टर ( बिशप हेबर )
गढ़ बिठली दुर्ग/तारागढ़ दुर्ग में दर्शनीय स्थल:-
- मिरान साहब की दरगाह
- घोड़े की मजार
- रूठी रानी का महल
- पृथ्वीराज स्मारक
- नानाजी का झालरा
- चामुंडा माता का मंदिर
🔰मैगनीज दुर्ग ( अजमेर में ):-
- मैगनीज दुर्ग का निर्माण अकबर ने करवाया था।
- मैगनीज दुर्ग मुस्लिम पद्धति पर बना एकमात्र दुर्ग है।
- इंग्लैंड के शासक जेम्स प्रथम के दूत सर टॉमस रो 22 दिसंबर, 1615 को अजमेर आए थे। उन्होंने अकबर के किले में 10 जनवरी, 1616 को जहांगीर से मुलाकात की थी।
मैगनीज दुर्ग के अन्य नाम :-
- अकबर का किला
- शस्त्रागार
- अकबर का दौलतखाना
🔰केहरीगढ़ दुर्ग ( किशनगढ़, अजमेर ):-
- केहरीगढ़ दुर्ग गुंदोलाव तालाब के पास किशनगढ़ अजमेर में स्थित है।
- वर्तमान में यह दुर्ग एक ‘हेरिटेज होटल’ है।
- इस दुर्ग के आंतरिक भाग को “जिवरक्खा महल” भी कहते है।
🔰टॉडगढ़ दुर्ग:-
- इस दुर्ग का प्राचीन नाम बोरासवाड़ा
- टॉडगढ़ दुर्ग का निर्माण कर्नल जेम्स टॉड ने करवाया था।
- इस दुर्ग में विजय सिंह पथिक और राव गोपाल सिंह खरवा को नजरबंद किया गया था।
पुष्कर का वर्णन | Puskar Tirth History in Hindi
पुष्कर एक हिंदुओं का प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है। यहां पर पवित्र पुष्कर झील है , जिसमें 52 घाट है। पुष्कर में ब्रह्माजी का भव्य मंदिर है। पुष्कर को हिंदुओं के पांच प्रमुख तीर्थों में सबसे पवित्र माना गया है।
पुष्कर के अन्य नाम / उपनाम:-
- 100 मंदिर का शहर
- कोकण तीर्थ
- तीर्थराज
- तीर्थो का मामा
- आदि तीर्थ
पुष्कर
- अजमेर शहर के उत्तर पश्चिम में 11 किमी दूरी पर पुष्कर हिन्दुओ का प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है।
- पुष्कर मेला अजमेर में पुष्कर नामक स्थान पर कार्तिक शुक्ला एकादशी से पूर्णिमा तक भरता है। यहां पर पशु मेला भरता है। यह राजस्थान का सबसे बड़ा सांस्कृतिक मेला है।
- यहाँ पवित्र पुष्कर झील है, जिसमें 52 घाट हैं। यहाँ ब्रह्माजी का भव्य मंदिर है।
- पुष्कर को आदि तीर्थ व तीर्थराज भी कहा गया है। पुष्कर का एक अन्य नाम ‘कोकण तीर्थ’ भी था।
- पुष्कर में प्रतिवर्ष कार्तिक शुक्ला एकादशी से पूर्णिमा तक राजस्थान का सबसे बड़ा सांस्कृतिक मेला पुष्कर मेला’ भरता है।
- पुष्कर के पास ही बूढ़ा पुष्कर व कनिष्क पुष्कर के नाम से दो पवित्र झीलें हैं।
ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह
- ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह हजरत शेख उस्मान हारुनी के शिष्य व भारत में सूफी मत के चिश्ती सिलसिले के संस्थापक ख्वाजा मुइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह सभी सम्प्रदायों के लोगों का आस्था स्थल है।
- ख्वाजा गरीब नवाज की यह दरगाह अजमेर में तारागढ़ की पहाड़ी की गोद में बनी हुई है।
- ख्वाजा मुइनुद्दीन चिश्ती का जन्म ईस्वी 1142 (14 रजब) को संजर (ईरान) में हुआ था। इनके पिता का नाम हज़रत ख्वाजा सैयद गयासुद्दीन व माता का नाम बीबी साहेनूर था।
- इनके गुरु ख्वाजा उस्मान हारुनी थे।
- दरगाह में हर वर्ष हिज्री सन् के रज्जब माह की 1 से 6 तारीख तक (6 दिन का) ख्वाजा साहब का विशाल उर्स भरता है जो साम्प्रदायिक सद्भाव का अनूठा उदाहरण है।
- प्रतिवर्ष ख्वाजा साहब के उर्स के करीब एक सप्ताह पूर्व बुलंद दरवाजे पर भीलवाड़ा के गौरी परिवार द्वारा झंडा चढ़ाने की रस्म बड़ी धूमधाम से पूरी की जाती है।
अजमेर से सम्बंधित महत्वपूर्ण जीके | Ajmer District GK in Hindi
- जहांगीर महल का निर्माण जहांगीर ने पुष्कर में करवाया था।
- दौलतबाग उद्यान (सुभाष उद्यान ) का निर्माण जहांगीर ने अजमेर में करवाया था।
- चश्मा-ऐ-नूर का निर्माण जहांगीर ने अजमेर में करवाया था।
- शाहजहां ने आनासागर झील के किनारे सफेद संगमरमर से बारहदरी का निर्माण करवाया।
- राजस्थान की प्रथम हाई सिक्योरिटी जेल “घुघरा घाटी” अजमेर में है
- राजस्थान का सिस्मोग्राफ संयंत्र अजमेर में।
- राजस्थान का एकमात्र नवग्रह मंदिर किशनगढ़, अजमेर में।
- फल्कु बाई का संबंध किशनगढ़, अजमेर से।
- राजस्थान का सबसे बड़ा हैंडलूम केंद्र किशनगढ़, अजमेर में।
- किशनगढ़ शैली (बणी-ठणी शैली) किशनगढ़, अजमेर में।
- राज्य का प्रथम केंद्रीय विश्वविद्यालय बांदरसिंदरी किशनगढ़ में।
- राजस्थान की प्रथम सहकारी समिति – भिनाय (अजमेर में )
- कृष्णा मील की स्थापना ब्यावर( अजमेर में)
- राज्य में फेल्सपार का सर्वाधिक उत्पादन अजमेर मे।
- अजमेर जिले में किशनगढ़ मार्बल की मंडी है।
- पुष्कर में गुलाब की खेती व गुलकन्द उद्योग स्थापित है।
- अजमेर के भिनाय में कोड़ामार होली व केकड़ी में अंगारों की होली खेली जाती है।
- किशनगढ़ अपनी चित्रकला शैली के लिए विख्यात है। ‘बनीठणी’ पेंटिंग इस शैली की प्रसिद्ध कृति है।
- राज्य की प्रथम सूती वस्त्र मिल-कृष्णा मिल ब्यावर में सेठ दामोदर व्यास द्वारा स्थापित की गई थी।
- नारायण सागर बाँध : ब्याबर के पास जालिया ग्राम में खारी नदी पर बना यह अजमेर जिले का सबसे बड़ा सिंचाई बाँध है। इसकी नींव 31 अक्टूबर, 1955 में तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने रखी तथा यह सन् 1962 में बनकर तैयार हुआ।
- राज्य का सबसे पुराना राजकीय महाविद्यालय अजमेर में ही (1896 में) स्थापित किया गया।
- अजमेर राज्य का प्रथम पूर्ण साक्षर जिला है। यहाँ के मसूदा गाँव को प्रथम साक्षर गाँव का गौरव मिला।
- राजस्थान में 1857 की क्रांति का श्रीगणेश अजमेर की नसीराबाद छावनी से ही हुआ।
- मुगलकाल में इसे ‘राजपूताना का नाका’ कहा जाता था। ब्रिटिश काल में इसे राजपूताना की चाबी’ कहा जाता था।
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